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राजस्थान के लोक देवता || Rajasthan Ke Lok Devta

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Rajasthan CET & REET Exam Material

राजस्थान Exam की तैयारी करने वाले सभी विद्यार्थियों के लिए राजस्थान GK और राजस्थान करंट अफेयर्स का सम्पूर्ण समावेशन।
Exam से पहले एक नज़र में राजस्थान का GK और करंट अफेयर्स को देखे।

लोक देवता - गुरु

गोगाजी - गोरखनाथ

-गोगा जी जन्म स्थान ददरेवा (जेवरग्राम) राजगढ़ तहसील(चुरू) में है।
-
गोगा जी समाधि गोगामेड़ी, नोहर तहसील (हनुमानगढ) में है।
-लोग इन्हें सांपों के देवता,
जाहरपीर के नाम से भी पुकारते हैं।
-
शीर्ष मेडी (ददेरवा) तथा घुरमेडी-(गोगामेडी), नोहर मे इनके प्रमुख स्थल हैं।
-गोगा मेंडी का निर्माण “
फिरोज शाह तुगलक” ने करवाया। वर्तमान स्वरूप (पुनः निर्माण) महाराजा गंगा सिंह नें कारवाया।
-
गोगाजी का विशाल मेला भाद्र कृष्णा नवमी (गोगा नवमी) को गोगामेड़ी गाँव में भरता है।
-इस मेले के साथ-साथ राज्य स्तरीय पशु मेला भी आयोजित होता है।
-यह पशु मेला राज्य का सबसे लम्बी अवधि तक चलने वाला पशु मेला है।
-गोगा मेडी का आकार मकबरेनुमा हैं।
-गोगाजी की ओल्डी सांचैर (जालौर) में है।
-इनके थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होते है।
-गोरखनाथ जी इनके गुरू थे।
-गोगाजी हिन्दू तथा मुसलमान दोनों धर्मो में समान रूप से लोकप्रिय थे।
-धुरमेडी के मुख्य द्वार पर बिस्मिल्लाह अंकित है।
-इनके लोकगाथा गीतों में डेरू नामक वाद्य यंत्र बजाया जाता है।
-किसान खेत में बुआई करने से पहले गोगा जी के नाम से राखड़ी हल तथा हाली दोनों को बांधते है।


हडबू जी - बालीनाथ

-हडबु जी का जन्म स्थान भूण्डेल (नागौर) में है।
-सांखला राजपूत परिवार से जुडे हुए थे।
-रामदेवी जी के मौसेरे भाई थे।
-सांखला राजपूतों के अराध्य देव है।
-इनका मंदिर बेंगटी ग्राम (जोधपुर) में है।
-मण्डोर को मुक्त कराने के लिए 
हडबु जी ने राव जोधा को कटार भेट की थी।
-मण्डोर को मुक्त कराने के अभियान में सफल होने पर राव जी ने
वेंगटी ग्राम हडबु जी को अर्पण किया था।
-
हडबु जी शकुन शास्त्र के ज्ञाता थे। हडबु जी के मंदिर में इनकी गाड़ी की पूजा होती है।
-
हरभू जी के गुरू का नाम बालीनाथ जी था।


रामदेव जी - बालीनाथ

-रामदेवजी जन्म उंडुकासमेर (बाड़मेर) में हुआ।
-रामदेव जी तवंर वंशीय राजपूत थे।
-इनकी ध्वजा, नेजा कहताली हैं, नेजा सफेद या पांच रंगों का होता हैं
-बाबा राम देव जी एकमात्र लोक देवता थे, जो कवि भी थे। राम देव जी की रचना चैबीस वाणियाँ कहलाती है।
-इन्होने कामड़ पंथ की स्थपना की।
-रामदेव जी का प्रतीक चिन्ह पगल्ये कहलाते है। और इनके पगल्यों की पूजा की जाती है।
-इनके लोकगाथा गीत ब्यावले कहलाते हैं।
-इनके मेघवाल भक्त रिखिया कहलाते हैं।

-बालनाथ जी इनके गुरू थे।
-प्रमुख स्थल-
रामदेवरा (रूणिचा), पोकरण तहसील (जैसलमेर)बाबा रामदेव जी का जन्म भाद्रशुक्ल दूज (बाबेरी बीज) को हुआ।
-राम देव जी का मेला भाद्र शुक्ल दूज से भाद्र शुक्ल एकादशी तक भरता है।
-मेले का प्रमुख आकर्षण
तेरहताली नृत्य होता हैं।
-मांगी बाई (उदयपुर) तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यागना है।
-तेरहताली नृत्य
कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
-रामदेव जी श्री कृष्ण के अवतार माने जाते है।
-
छोटा रामदेवरा गुजरात में है।
-सुरताखेड़ा (चित्तोड़) व बिराठिया (अजमेर) में भी इनके मंदिर है।
-इनके यात्री
जातरू कहलाते है।
-रामदेव जी हिन्दू तथा मुसलमान दोनों में ही समान रूप से लोकप्रिय है।
-मुस्लिम इन्हें
रामसा पीर के नाम से पुकारते है।
-रामदेव जी ने
मेघवाल जाति की डाली बाई को अपनी बहन बनाया।
-रामदेव जी की फड़ का वाचन मेघवाल जाति या कामड़ पथ के लोग करते है।


कल्ला जी राठौड़ - भैरवनाथ


-जन्म – मेडता (नागौर) में हुआ।
-उपनाम – शेषनाग का अवतार, चार भुजाओं वाले देवतागुरू – योगी भैरवनाथ।
-1567 ई. में चित्तौडगढ़ के तृतीय साके के दौरान अकबर से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
-मीरा बाई इनकी बुआ थी।
-इन्हें योगाभ्यास और जड़ी-बूटियों का ज्ञान था।
-दक्षिण राजस्थान में वीर कल्ला जी की ज्यादा मान्यता है।

मल्लीनाथ जी - उगमसी भाटी


-जन्म – तिलवाडा (बाडमेर) में हुआ।
-जाणीदे – रावल सलखा (माता -पिता)इनका मेला चेत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक लूणी नदी के किनारे तिलवाड़ा (बाड़मेर) नामक स्थान पर भरता हैं।
-यह मेला मल्लीनाथजी के राज्याभिषेक के अवसर से वर्तमान तक आयोजित हो रहा हैं।
-इस मेले के साथ-साथ पशु मेला भी आयोजित होता है।थारपारकरकांकरेज नस्ल का व्यापार होता है।
-बाड़मेर का गुड़ामलानी का नामकरण मल्लीनाथजी के नाम पर ही हुआ हैं।


तल्लीनाथ जी - जालंधर नाथ

-वास्तविक नाम – गागदेव राठौड़
-गुरू – जलन्धरनाथ (जालन्धर नाथ न ही गागदेव को तल्लीनाथ का नाम दिया था।)
-पंचमुखी पहाड़ – पांचोटा ग्राम (जालौर) के पास इस पहाड़ पर घुडसवार के रूप में बाबा तल्लीनाथ की मूर्ति स्थापित है।
- तल्लीनाथ जी ने शेरगढ़ (जोधपुर) ढिकान पर शासन किया।


देवनारायण जी
-जन्म – आशीन्द (भीलवाडा) में हुआ।
-पिताजी संवाई भोज एवं माता सेडू खटाणी।
-राजा जयसिंह(मध्यप्रदेष के धार के शासक) की पुत्री पीपलदे से इनका विवाह हुआ।
-गुर्जर जाति के आराध्य देव है।
-गुर्जर जाति का प्रमुख व्यवसाय पशुपालन है।

-देवनारायण जी विष्णु का अवतार माने जाते है।
-मुख्य मेंला भाद्र शुक्ल सप्तमी को भरता हैं।
-देवनारायण जी के घोडे़ का नाम लीलागर था।
-प्रमुख स्थल- 1. सवाई भोज मंदिर (आशीन्द ) भीलवाडा में है। 2. देव धाम जोधपुरिया (टोंक) में है।
-उपनाम – चमत्कारी लोकपुरूष जन्म का नाम उदयसिंह थानदेवधाम जोधपुरिया (टोंक) – इस स्थान पर सर्वप्रथम देवनारायणजी ने अपने शिष्यों को उपदेश दिया था।
-इनकी फंड राज्य की सबसे लम्बी फंड़ है।
-फंड़ वाचन के समय “जन्तर” नामक वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है।
-इनकी फड़ पर भारत सरकार के द्वारा 5 रु का टिकट भी जारी किया जा चुका हैें।
-देवनारायण जी के मंदिरों में एक ईंट की पूजा होती है।


भोमिया जी

-भूमि रक्षक देवता जो गांव-गांव में पूजे जाते है।


वीर फता जी

-जन्म सांथू गांव (जालौर) में।
-सांथू गांव में प्रतिवर्ष भाद्रपद सुदी नवमी को मेला लगता है।


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